जौर से बाज़ आए पर बाज़ आएँ क्या

कहते हैं हम तुझ को मुँह दिखलाएँ क्या

रात दिन गर्दिश में हैं सात आसमाँ

हो रहेगा कुछ न कुछ घबराएँ क्या

पूछते हैं (वो) कि ‘ग़ालिब’ कौन है

कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या

– मिर्ज़ा ग़ालिब